
राजनीति में एक शख्स ऐसा है जिसे देखकर भाजपा के रणनीतिकार भी मुस्कुराते हैं – नाम है दिग्विजय सिंह।
एक कांग्रेस नेता, जो बिना बजट और ब्रीफ़िंग के भाजपा की PR मशीनरी को फ्री सर्विस दे जाते हैं। ये वही हैं जिनके हर बयान से कांग्रेस की किरकिरी होती है और भाजपा को फ्री में “पोल-पिच” मिल जाती है।
बयानबाज़ी की वो कला – जिससे BJP की TRP बढ़े
सवाल उठाना लोकतंत्र की रीढ़ होता है, पर जब हर सवाल विपक्ष के लिए ही ज़हर बन जाए, तो शक होता है इरादों पर।
दिग्विजय सिंह के ‘ओसामा जी’, ‘हिंदू आतंकवाद’ और कांवड़ यात्रा के टाइमिंग जैसे बयानों ने कांग्रेस को जितना नुकसान पहुंचाया, उतना तो भाजपा की नीतियों ने भी शायद नहीं किया।
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वरिष्ठ पत्रकार अजीत उज्जैनकर के अनुसार, “हर चुनाव से पहले दिग्विजय सिंह का बयान आता है और भाजपा की वोटिंग मशीन में तेल पड़ जाता है।”
यूपी में ‘योगीमय टिकट वितरण’?
जब यूपी कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया, तो अंदरूनी सुगबुगाहट थी – टिकट बाँटते समय मार्गदर्शन कहीं और से लिया गया?
डबल एजेंट या सच्चा सेक्युलर?
राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले दिग्विजय सिंह अगर बार-बार ऐसे बयान दें जिससे भाजपा को फायदा हो और कांग्रेस को नुकसान – तो संदेह स्वाभाविक है।
क्या ये अनजाने में हो रहा है? या फिर ‘राजनीतिक कराटे’ है, जिसमें हर वार पार्टी पर ही पड़ता है?
कांग्रेस की हार या भाजपा की फ्री ब्रांच?
जब भी कांग्रेस चुनाव हारती है, भाजपा नहीं बल्कि दिग्विजय सिंह ट्रेंड करते हैं। क्योंकि बाकी विपक्ष ज़मीन पर लड़ता है, ये माइक से आत्मघाती हमला कर देते हैं।
बीजेपी वालों की खुशी देखिए – प्रेस ब्रीफिंग में दिग्विजय सिंह के बयानों को अमित शाह से ज़्यादा कवरेज मिलता है!

‘भगवा बयान’ और एक असहज दिग्गी
कांग्रेस में इनकी भूमिका अब कांग्रेस के लिए चुनौती बन चुकी है। नाम बदल कर रख दिया जाए तो कुछ ऐसा हो सकता है:
“माहौल मंथन मंत्री – पदभार भाजपा के लिए, तनख्वाह कांग्रेस से!”
और हो सकता है राहुल गांधी अब यही सोचते हों:
“दिग्गी जी बोलें उससे पहले बटन दबा देना चाहिए – MUTE वाला!”
कांग्रेस की अंदरूनी सर्जरी या बाहरी संक्रमण?
तेलंगाना से प्रभार हटाना, गोवा-कर्नाटक में किनारा करना – संकेत साफ हैं। दिग्विजय सिंह कांग्रेस के भीतर बैठा वो ‘कंटेंट क्रिएटर’ हैं, जो भाजपा के सोशल मीडिया टीम को नींद में भी ट्रेंडिंग मटेरियल दे देते हैं।
तो अगली बार जब दिग्गी राजा बोले, याद रखिए – “बयान चाहे किसी ने दिया हो, फायदा हमेशा भगवा को होता है।”
“धरती पर उतरे अंतरिक्ष के ‘शेर’, बहन बोलीं- गर्व भी कम पड़ गया!”
